Bhagvad Gita - Lesson 36 - Suggested Answers
Q1) Please explain the shloka B.G 4.9..!! "Janma Karma ca me....."?
According to B.G (4.9)Lord Sri Krsna explains --One who knows the transcendental nature of My appearance and activities does not, upon leaving the body, take his birth again in this material world, but attains My eternal abode, O Arjuna.
जो लोग कृष्ण भगवान के प्राकट्य को उनके स्वभाव की दिव्यता को समझ जाते हैं वो शरीर त्यागने पर भगवान के धाम में जाते हैं । वह जन्म मृत्यु के चक्कर से छूट जाते हैं । इस भव बंधन से छूट जाते हैं उन्हें इस धरती पर पुन: जन्म नहीं लेना पड़ता वह भगवान के सामीप्य में रह कर शाश्वत आनन्द में मग्न हो जाते हैं।
Q2) What are three types of persons who are too materially attached and who do not take to spiritual life?
The 3 types of persons who are too materially attached and who do not take to spiritual life are:- (1)Some people are too materially attached and therefore do not give attention to spiritual life,(2)Some being embarassed by so many theories and by contradictions of various types of philosophical speculation, they become disgusted or angry and foolishly conclude that there is no supreme cause and that everything is ultimately void, and(3) some of them disbelieve in everything, being angry at all sorts of spiritual speculation
प्राय: कुछ लोग धरती पर एसे हैं जो भौतिकतावाद में इतने लीन रहते हैं कि उन्हें परमात्मा काल्पनिक लगता है उनके लिए भौतिक जगत ही परमतत्व है दूसरे वह लोग हैं जो आध्यात्मिक ज्ञान को ज़रा सा भी नहीं समझते वह दार्शनिक चिन्तन और तरह तरह की विसंगतियों से परेशान हो जाते हैं और क्रुद्ध हो कर शून्य को ही अंत मानते हैं तीसरी क़िस्म के वह लोग हैं जो आध्यात्मिक ज्ञान की तरफ़ ध्यान नहीं देते और क्रुद्ध तथा निराश होकर मादक पदार्थों का सहारा लेने लगते हैं और प्रत्येक वस्तु पर अविश्वास करने लगते हैं।इन तीनों तरह के लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती । किसी प्रमाणिक गुरू के निर्देशन में स्वयम् को भगवान की शरण में देकर भक्ति के विधि विधानों को मानकर ही आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है ।
Q3) What is the real definition of love. Please explain with the example of Lakshmana ?
According to the sastras - When there is every reason to break the relationship but the relationship is not broken that is real love. We can get the example of real love from the life of Lakshmana. In Ramayan, lakshman left the kingdom of Ayodhya and his beautiful young wife for his elder brother Ram and his Bhabhi Sita.He faced lots of difficulties in the jungle and had sleepless nights serving them. But still he served them wholeheartedly and selflessly. This is pure and real love.
प्रेम बहुत प्रकार का है - भाई बहन , पति पत्नी , माँ बच्चे , देश के प्रति आदि किन्तु यह प्यार समय के अन्तराल के साथ साथ कभी निराशा असन्तुष्टि ,मायूसी आदि के साथ परिवर्तित हो जाते हैं अत: जब प्रेम में स्वार्थ की भावना न हो , बहुत कारण हों रिश्ता तोड़ने के फिर भी रिश्ता न टूटे ; वही वास्तविक प्रेम है । राम सीता के बनवास काल में जब श्री राम सीता के हठ करने पर मारीच को पकड़ने गए तब रावण ने राम की आवाज़ में मदद की गुहार लगाई तब लक्ष्मण ने उस आवाज़ पर ध्यान नहीं दिया तब सीता ने लक्ष्मण को बुरा भला कहा और जब लक्ष्मण सीता को अकेला छोड़ कर राम के पास चला गया तो राम ने लक्ष्मण को बुरा भला कहा लेकिन लक्ष्मण के प्रेम में कहीं भी कोई कमी नहीं आई ऐसे प्रेम को ही वास्तविक प्रेम कहा जाता है
Q4) How much does Krishna love us?
In this material world the highest love is that which we get from our Mothers. According to sastras God has created mothers for us,who are fully maintained and looked after by the lord himself. And its the lord who gives her the power to love us. And as such it is said in the sastras that Lord Krishna's love is equal to the love of millions of mothers.During every birth we change our parents but Lord Krishna is always there with us in every form like, Father, mother, brother etc.
एक माँ का प्यार ही निस्वार्थ और सर्वोच्च है ऐसी लाखों करोड़ों माँओं के प्यार के बराबर कृष्ण भगवान का प्रेम है।वही हमारी माँ , पिता, भाई , मित्र ,विद्या , धन हैं वही हमारे सब कुछ हैं। कृष्ण प्रेम ही स्थाई है यह आत्मा से परमात्मा का प्रेम है । यह सांसारिक प्रेम तो अस्थाई हैं शरीर नष्ट होने के साथ ही यह प्रेम समाप्त हो जाते हैं।
Q5) Explain the stages leading to Krishna Prem?
The stages leading to Krishna prem are:(1) In the beginning one must have a preliminary desire for self-realization. This will bring one to the stage of trying to associate with persons who are spiritually elevated. (2)In next stage one becomes initiated by an elevated spiritual master, and under his instruction the neophyte devotee begins the process of devotional service by one becomes free from all material attachment, attains steadiness in self-realization, and acquires a taste for hearing about the Absolute Personality of Godhead, Sri Krsna. (3)This taste leads one further forward to attachment for Krsna consciousness, which is matured in bhava, or the preliminary stage of transcendental love of God and this real love is called prema, the highest perfectional stage.
कृष्ण प्रेम होने के लिए सब से पहले आत्मसाक्षात्कार की सामान्य इच्छा होनी चाहिए , फिर साधु संतों का संग होना चाहिए जो आपको आध्यात्म की इच्छा को जगाए । तत्पश्चात प्रमाणिक गुरू से दीक्षा लेकरउनके निर्देशों में रहते हुए भक्ति करे ।तब वह भौतिक आसक्ति से मुक्त हो जाएगा। भजन कीर्तन करते हुएकृष्ण के विषय में सुनकर उनके प्रति रूचि रखे । एसे ही कृष्ण भावनाभावित होते हुए लगातार उनकी भक्ति में लीन रहे तभी प्रमाणिक गुरू के निर्देश में सर्वोच्च अवस्था में पहुँच जाएगा और सब भौतिक भयों से दूर होकर भगवान के धाम को प्राप्त कर सकेगा।