Bhagvad Gita - Lesson 19 - Suggested Answers
Sakam karma is acting in a selfish manner , thinking solely about one's personal gains. A miser is a person who has entangled himself in this material bondage. He tends to enjoy the fruit of the material activities. They are the ones who do not have enough knowledge how to utilize their hard earned riches in the right thing. They don't understand that one should spend their energies in the service of the Supreme Lord.
Q2) Can we be happy if we become a King or a Demigod? Please explain?
A person can never be happy if he is entangled in this material world of birth, disease, old age and death. Even if a person becomes a King or Demi God, still he doesn't free himself from the miseries of life. Real freedom is in understanding ones position to serve the Supreme Lord and aim for Vaikhunthaloka i.e The Lord's Abode.
Q3) How can one's ignorance be removed?
One's ignorance can be removed by following & implementing the instruction of the Bhagavad-gita which teaches one to surrender unto Lord Sri Krsna in all respects and become liberated from the chained victimization of action and reaction, birth after birth.
Q4) There is danger at every step ? Please explain?
In material world, the four miseries of life, namely birth, death, old age and diseases will always be present – come what may. Further, for all material activities there is a reaction which has to be borne by the doer (whether good or bad). Thus, he keeps getting entangled in the material bondages and consequently can never become happy. Hence, it is only by engaging in the transcendental loving service of the Lord can one actually become happy and blissful.
Q5) What is the meaning of the word Mukunda?How can we attain liberation?
Mukunda means giver of Mukti (liberation). We can attain liberation only by becoming Krishna conscious and engaging all our activities in the transcendental loving service of the Lord. We should know that it is Krishna who is the Supreme enjoyer and we are the eternal servant of Lord Krishna and whatever we do is for His pleasure only.
Q) सकाम कर्म क्या है?कृपण कौन है?
फल की इच्छा से किया गया कार्य जो बंधन का कारण है वही सकाम कर्म है ।जो कोई भी सकाम कर्म फलों को भोगना चाहते हैं वे कृपण हैं।
Q) क्या हम राजा या देवता बनकर खुश रह सकते हैं? कृपया समझाएँ?कदापि नहीं। भौतिक जगत ऐसा दुःखमय स्थान है जहाँ पग-पग पर संकट है ।चाहे कोई राजा या देवता ही क्यो न हो जो भी इस भौतिक जगत में आया है उसे जन्म, मृत्यु, जरा और व्याधि को सहन करना पड़ता है। वह तभी सुखी हो सकता है जब वह भगवान की शरण गृहण करे।
Q) किसी की अज्ञानता को कैसे दूर किया जा सकता है?जब तक जीव अपने स्वरूप को नहीं समझ पाते तब तक वे अज्ञान में होते हैं और ज्ञान के परम स्त्रोत तो वासुदेव श्री कृष्ण है अगर किसी की अज्ञानता को दूर करना हो तो उसके लिए वासुदेव श्री कृष्ण की वाणी 'भगवत गीता 'के उपदेशों से कर सकते हैं। गीता के दिव्य ज्ञान द्वारा हमें अपने वास्तविक स्वरूप का ज्ञान होता हैकि हम ये शरीर नहीं हम आत्मा है और हम कृष्ण के नित्य दास हैं। जिसने यह दिव्य ज्ञान जान लिया उसकी अज्ञानता नष्ट हो जाती है।
Q) हर पद पर खतरा है? कृपया समझाएँ?यह भौतिक जगत दुःखमय स्थान है जहाँ पग पग पर संकट है इस संसार में कहीं भी कोई भी शरीर दुःखों से रहित नहीं है देहधारी जीव को माया के वशीभूत होकर त्रय तापों आदि आत्मिक, आदि भौतिक और आदि दैविक क्लेशों को भोगना पड़ता है जिस प्रकार वर्तमान समय में पूरा विश्व कोरोना नामक महामारी के संकट से जूझ रहा है।
Q) मुकुंद शब्द का अर्थ क्या है? हम कैसे मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं?मुकुंद शब्द का अर्थ है मुक्ति प्रदान करने वाला। जिसने भगवान कृष्ण की शरण गृहण कर ली है वह मुक्ति पा सकते हैं।