Bhagvad Gita - Lesson 32 - Suggested Answers

1) What are the three different degrees of the coverings of Lust? Explain any one of them?
Lord says that humans are covered with three aspects of Lust namely smoke in the fire, dust on the mirror, and embryo in the womb. The dust on the mirror refers to a cleansing process of the mirror of the mind by spiritual methods. Its easy to bring Lust covered person of this degree to walk the path of Krishna consciouness with little efforts like mere chanting the name of Lord.

2) What are the sitting places of Lust?
The senses, the mind and intelligence are sitting grounds of Lust.

3) In shloka 3.42, Explain the sequence of superiority of soul, intelligence, senses and mind?
Mind is higher than the senses; intelligence is still higher than the mind; and he [the soul] is even higher than the intelligence. In the Kaṭha Upaniṣad there is a similar passage, in which it is said that the objects of sense gratification are superior to the senses, and mind is superior to the sense objects. If, therefore, the mind is directly engaged in the service of the Lord constantly, then there is no chance that the senses will become engaged in other ways.

4) How can we conquer Lust?
We can conquer lust by regulating our senses. The living entities are parts and parcels of the Lord, and therefore they are simply meant to serve the Lord. When they are educated towards Krishna from the beginning then there is natural God love which would not let them indulge into lust.


१. काम के आवरण की तीन विभिन्न कोटियाऺ क्या हैं? उनमें से किसी एक की व्याख्या कीजिए?

हमारी शुध्द चेतना के ऊपर काम तीन प्रकार से आवरित होता है जिस प्रकार अग्नि धुएँ से,दर्पण धूल से और भ्रूण गर्भाशय से।गर्भाशय द्वारा भ्रूण का आवरित होना कृष्णभावनामृत में प्रगति करने के लिए बड़ी असहाय अवस्था है जिस प्रकार गर्भ में स्थित भ्रूण इधर-उधर हिलने के लिए भी स्वतंत्र नहीं होता उसी प्रकार एसी असहाय अवस्था में कृष्णभावनामृत का उदय होना असम्भव है क्योंकि तब शुध्द चेतना प्रबल काम के आवरण से आवरित होती है ।उदाहरण-वृक्ष योनि।ये काम की प्रबलता के कारण चेतनाशून्य होते हैं

२.काम के निवास स्थान क्या हैं?

इन्द्रियां,मन और बुद्धि  काम के निवास स्थान है।

३.श्लोक ३.४२ में आत्मा, बुद्धि, इंद्रियों और मन की श्रेष्ठता का क्रम स्पष्ट कीजिए।

इन्द्रियां शरीर सेश्रेष्ठ है,मन इन्द्रियों से ,बुधि मन से और आत्मा बुधि से भी श्रेष्ठ है

४. हम काम पर कैसे विजय प्राप्त कर सकते हैं?
यदि हम बुद्धि पूर्वक अपने मन को भगवान श्री कृष्ण के चरणों में अर्पित करते हैं तो मन मन सशक्त हो जाता है और इन्द्रियाँ दंत विहीन सर्पो की तरह अशक्त हो जाती है और हम कृष्णभावनाभावित होकर काम पर विजय प्राप्त कर सकते हैं